संविधान
क्षत्रिय लोणारी कुनबी समाज |
नाम |
इस संस्था का नाम “क्षत्रिय
लोणारी कुनबी समाज” होगा जिसे समाज के नाम से उल्लेखित किया जाएगा। |
कार्यक्षेत्र |
इस समाज का कार्य क्षेत्र
सम्पूर्ण मध्यप्रदेश होगा। |
कार्यालय |
इस संस्था का पंजीकृत मुख्यालय
भोपाल होगा। |
उद्देश्य एवं कार्य:- |
1. विभिन्न क्षेत्रों में फैले
समाज के लोगों को एकता के सूत्र में बांधकर समाज एवं राष्ट्रहित में कार्य
करना।
2. समाज की सर्वांगीन उन्नति करना।
3. मराठी भाषा के विकास के लिए कार्य करना।
4. समय एवं परिस्थितियों को देखते हुए समाज के हित के लिए हर उस पहलू का
अध्ययन करना जिससे समाज के लोगों का मानसिक, आर्थिक एवं बौद्धिक स्तर ऊपर उठाया
जा सकें।
5. पिछड़ा समाज होने के कारण उसमें
फैली कुरितियों एवं अंधविश्वास दूर करने के लिए यथा सम्भव प्रयास करना।
6. आपस में प्रेम और सहयोग की भवना को लेकर चलना।
7. समाज का कल्याण एवं लाभ-समाज के लोग पिछड़े एवं आधिक दृघ्टि से कमजोर होने
के कारण समाज के कल्याण्सा के लिए शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, कला, विज्ञान,
उद्योग-धंधे, व्यापार आदि संस्था के माध्यम से चलाने के लिए शासकीय सहयोग
प्राप्त करना। मनोरंजन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन एवं प्रदर्शन
करना।
8. यह समाज राजनीति से बिल्कुल दूर रहेगा।
ऐसा वेधानिक कार्य जो समाज के उद्देश्यों की पूर्ति में लाभदायक एवं सहायक
हो।
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वित्तीय वर्ष |
समाज के कार्यकलापों से संबंधित
लेखा-जोखा तथा गतिविधियों का वित्तीय वर्ष 01 अप्रैल से आरम्भ होकर 31
मार्च समाप्त होगा। |
सदस्यता |
वह प्रत्येक व्यक्ति समाज की
सदस्यता के लिए पात्र होगा जो क्षत्रिय लोणारी कुनबी (स्त्री-पुरूश) समाज के
कार्यक्षेत्र में आता हो इस समाज का जन्म से ही सदस्य माना जाएगा। |
मताधिकारी सदस्यता |
संस्था का नियमित वह सदस्य जो
वयस्क हो तथा वाँछित सदस्यता एवं कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करता
हो तथा समाज से निष्कासित न हो, उसे समाज के चुनाव में मताधिकार होगा। |
सदस्यता से निष्कासन |
यदि कोई व्यक्ति जो संस्था का
सदस्य हो तथा निचे उल्लेखित आचरण करता हो उसे संस्था की सदस्यता से निष्कासित
किया जा सकेगा:-
1. संविधान के अनुरूप न चलने के कारण।
2. समाज के सदस्यों में मतभेद पैदा करने तथा एकता में बांधा डालने पर।
3. 6 माह तक निर्धारित शुल्क जमा नहीं करने पर
4. अन्य कारण जो समाज के संविधान के विपरीत हो।
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संस्था की आय की मदें एवं उसके
स्त्रोत |
समजा के विभिन्न क्रियाकलापों को
सम्पन्न करने के लिए निचे लिखें प्रॉवधानों से धन प्राप्त किया जा
सकेंगा:-
1. सदस्यता शुल्क
2. मासिक शुल्क
3. आजीवन सदस्यता शुल्क
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अन्य स्त्रोत |
जैसे अनुदान, विज्ञापन, मेलों का
आयोजन, शिक्षा संस्थाओं द्वारा अनुदान के रूप में किन्हीं महानुभाओं द्वारा
धनराशि या कोई सम्पत्ति समाज की उन्नति के लिए देने पर राशि या सम्पत्ति के मूल्य के अनुसार समाज की ओर से उन्हें उपाधियाँ
प्रदान की जावेंगी एवं समाज की प्रकाशित होने वाली पत्रिका में इसका उल्लेख किया
जाएगा।
5001 रूपये या इससे अधिक अनुदान देने पर
आश्रयदाता
2001 रूपये या इससे अधिक अनुदान देने पर
उप आश्रयदाता
1001 रूपये या इससे अधिक अनुदान देने पर
शुभचिन्त की उपाधियों से विभूषित किया जाएगा।
उपर एक और दो में दर्शायें गये माहानुभावों को संस्था का आयोजन सदस्य माना
जाएगा पर उनका कोई प्रस्ताव कार्यकारिणी पर बंधनकारक नहीं होगा।
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सदस्यता शुल्क |
प्रत्येक सदस्य को सदस्यता
प्राप्त करने हेतु प्रवेश शुल्क के रूप में दस रूपये जमा करना होगा। |
मासिक शुल्क |
प्रत्येक सदस्य को पांच रूपये
प्रतिमाह के हिसाब से मासिक शुल्क देना होगा। |
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आजीवन सदस्यता की राशि 201/- जमा
करनी होगी। |
शुल्क में छूट |
विद्यार्थी एवं ऐसे व्यक्ति जिनके
पास आय का कोई स्त्रोत न हों, मासिक शुल्क में छूट दी जा सकेगी। छूट देने का
पूर्वाधिकार कार्यकारिणी को होगा। परन्तु ऐसे सदस्यों को छूट है 10 रूपये
सदस्यता शुल्क जमा करना अनिवार्य होगा, बशर्ते कि रोजगार मिलते ही वे मासिक शुल्क जमा करना शुरू कर दें। |
संरक्षक एवं संरक्षक मंडल |
संरक्षक एवं संरक्षक मंडल के
सदस्य ऐसे होगें जो समाज के सर्वांगीन उत्थान के लिए श्रेष्ठ समझे जाते हों एवं
समाज की वैधानिक, आर्थिक एवं संकटकाल में योग्य मार्ग दर्शन देने में सक्षम
हो।
समाज के लिए किसी ऐसे महत्वपूर्ण
मुद्दे पर जो समाज के हितों को प्रभावित करता हो पर निर्णय लेने के लिए पूर्व
अथवा साधारण सभा बहुमत जानने के पूर्व संरक्षक एवं संरक्षक मंडल की सहमति
प्राप्त करना कार्यकारिणी के लिए बंधनकारी होगा। संरक्षक मंडल के सदस्यों का
नैतिक कर्तव्य होगा कि वे समाज के विकासोन्मुख मार्ग पर सतत अग्रसर करें। साधारण
सभा में किसी भी निर्णय पर बराबर मत होने पर संरक्षक दूसरा निर्णयात्मक मत
देगा।
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अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष |
अध्यक्ष वह व्यक्ति जो समाज का विधिवत सदस्य
होगा एवं जिसे साधारण सभा के बहुमत से निर्वाचित किया गया हो, समाज के अध्यक्ष
पद धारण करेंगा। वह समाज के हित के लिए कार्य करने के लिए सर्वोच्च पदाधिकारी
होगा एवं अपने विवेक एवं कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों के सहयोग से नियमानुसार सब
कार्य करेगा। जो कि समाज के हित में हो।
यह संस्था की बैठक एवं महत्वपूर्ण
निर्णय लेने के लिए अधिकृत होगा। बिना अध्यिक्ष की अनुमति के कोई भी सदस्य अपनी
घोषित नीति प्रकट नहीं करेगा। इसके मार्गदर्शन में कार्यकारिणी के सभी सदस्यों
को अनुशासित रूप से कार्य की देख-रेख करना होगा। किसी मामले पर कार्यकारिणी के
सदस्य के समान मत आने पर अध्यक्ष निर्णयात्मक मत देगा। इसके बिना हस्ताक्षर के
कोई भी कार्य बजट तथा महत्वपूर्ण प्रकाशन लेखा-जोखा अमान्य होगें। इन पर अध्यक्ष
की स्वीकृति आवश्यक है।
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निष्कासन |
भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद एवं
समाज को गुमराह करने, समाज के संविधान के विरूद्ध किसी अन्य संगठन से सांठ-गांठ
करने, सदस्यता शुल्क जमा न करने, तानाशाही बरतने के आरोप पाये जाने पर साधारण
सभा के दो तिहाई बहुमत से इन्हें पद्च्युत किया जा सकेगा।
आपातकालीन स्थिति में वर्ष के बजट को
मद्देनजर रखते हुए यह संस्था के हित में 500 रूपये तक का अधिकतम खर्च कर सकता है
जिस पर बाद में कार्यकारिणी का अनुसमर्थन प्राप्त करना होगा।
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उपाध्यक्ष |
उपाध्यक्ष के दो (2) पद होंगे। अध्यक्ष की
अनुपस्थिति में वे सभी अधिकार जो अध्यक्ष को हैं, उपाध्यक्ष को प्राप्त होंगे।
इनकी वे सभी जिम्मेदारियाँ एवं उत्तरदायित्व होंगे जो कि अध्यक्ष के होते है।
इनका निष्कासन भी अध्यक्ष की तरह किया जावेगा। |
महामंत्री |
1 यह संस्था का निर्वाचित स्नेह
पात्र, दूरदर्शी, कार्यकुशल एवं अनुभवी व्यक्ति होगा तथा संस्था के कार्यों में
इसकी बिना सहमति व हस्ताक्षर के कोई
संचालन नहीं हो सकेगा। यह जो सुझाव आदि देगा उस पर कार्यकारिणी में विचार किया
जाएगा। यह कार्यकारिणी के संचालन का कार्य अध्यक्ष के निर्देशानुसार ही
करेगा।
2 यह समाज के कार्यकलापों से संबंधित पत्र व्यवहार करने के लिए अधिकृत होगा
तथा समजा के समस्त महत्वपूर्ण रिकार्ड इसके स्वामित्व में रहेंगे एवं उनके
देखभाल एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी महामंत्री को हागी।
3 इसे कार्यकारिणी के दो तिहाई बहुमत से भ्रष्टाचार एवं किसी संदेहस्पद
कार्यवाही के होने पर बिना कारण बताये पदच्युत किया जा सकता है। एवं आरोपी पाये
जाने पर आवश्यक कार्यवाही की जा सकती है।
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कोषाध्यक्ष |
यह संस्था का निर्वाचित, योग्य ईमानदार,
चरित्रवान एवं कर्मठ व्यक्ति होगा जो प्राथमिक सदस्याता के नियमों का लिखित में
पालन करता हो। इसके पास कोष संबंधी सभी प्रकरण मय रजिस्ट्रर एवं फाइलों के साथ
होंगे। उसे किसी भी समय वरिष्ठ साथियों को आय-व्यय संबंधी प्रकरण माँगने पर देने
होंगे। सभी आर्थिक मुद्दों संबंधी कार्यवाहीं मय रसीद एवं साक्ष्य के लिखित में
रखनी होगी। भ्रष्टाचार या संदेह होने पर उसे भी कार्यकारिणी के बहुमत से पदच्युत
किया जा सकेगा एवं उप कोषाध्यक्ष को समस्त कोष एवं कागजात सौप दिये
जायेंगे।
वह अपने सुविधानुसार राशि एकत्र करने के लिए किसी भी प्रतिनिधि या सदस्य को
अधिक्रय कर सकता है।
बैंक से लेन-देन संबंधी कार्य संयुक्त खाता खोलकर अध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष
(स्वयं के) हस्ताक्षर से करेगा। वित्तीय वर्ष के अन्त में आय-व्यय का विवरण
साधारण सभा में प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी कोषाध्यक्ष की होगी।
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उप कोषाध्यक्ष |
कोषाध्यक्ष की अनुपस्थिति में
समस्त कार्य को कोषाध्यक्ष करता है, उप कोषाध्यक्ष करेंगा। विस्तृत कार्यक्षेत्र
को देखते हुए अध्यक्ष के निर्देश पर शुल्क इत्यादि की वसूली करेगा एवं खाता
पंजियाँ इत्यादि उसी तरह मेन्टेन करेगा जैसा कि कोषाध्यक्ष रखता है। सुविधा की
दृष्टि से यह शुल्क वसूली के लिए किसी भी सदस्य की मदद ले सकता है। |
अंकेक्षण विभाग |
समाज का एक आडीटर एवं उसकी सहायता
के लिए एक सब आडिटर होगा जो अध्यक्ष के निर्देश पर समाज के लिए आय-व्यय का आडिट
प्रत्येक तीन माह में करेगा। एवं अपनी रिपोर्ट कार्यकारिणी के समक्ष रखेगा। |
अन्य विभागीय मंत्री |
समाज की सर्वांगीन उन्नति के लिए
विभिन्न विभागों के अलग मंत्री एवं उपमंत्री होंगे जो अपने-अपने विभागों के
प्रति उत्तरदायी होंगे। |
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सभी पदाधिकारी अवेतनिक होंगे। |
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इस कार्यकारिणी के अलावा महिला
कार्यकारिणी का भी गठन किया जावेगा जिसका योगदान संस्था लेगी।
कार्यकारिणी के पदाधिकारियों का कार्यकाल साधारणत: इस पदाधिकारियों का
कार्यकाल दो वर्ष का होगा। परन्तु साधारण सभा अपने बहुमत के निर्णय द्वारा इस
अवधि को बढ़ा सकती है। किन्तु कोई पदाधिकारी तीन चुनावों के बाद आने वाले चौथे
चुनाव में नहीं लड़ सकेगा। यह बंधन केवल दो वर्ष के लिए होगा।
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बैठक |
कार्यकारिणी की हर माह में कम से
कम एक बैठक होना आवश्यक है। समाज की बैठक कम से कम 6 माह में एक बार अवश्य
चाहिए। आपातकालीन बैठक किसी भी समय बुलाई जा सकती है।
साधारण सभा साधारण सभा के नियम 6 में दर्शाएं श्रेणी के सदस्य समावेषिश
रहेंगे। सभा की बैठक आवश्यकतानुसार हुआ करेगी, लेकिन वर्ष में एक बार अवश्य
होगी। बैठक के संबंधित जानकारी सदस्यों को सयम के 15 दिन पूर्व दी जाएगी। बैठक
का कोरम 2/5 का होगा। संस्था को बैठक प्रथम आम सभा पंजीयन दिनांक से 3 माह के
भीतर बुलार्ह जाएगी। उसमें संस्था के पदाधिकारियों का विधिवत निर्वाचन किया
जाएगा। यदि संबंधित आम सभा का आयोजन किसी समय नहीं किया जाता है तो पंजीयक महोदय
को अधिकार हो कि संस्था की आम सभा का आयोजन किसी जिम्मेदार कर्मचारी के
मार्गदर्शन में करावे एवं पदाधिकारियों का चुनाव विधिवत कराया जावें।
साधारण सभा के अधिकार एवं कर्त्तव्य
• संस्था के पिछले वर्ष का वार्षिक विवरण प्रगति प्रतिवेदन स्वीकृत करना
• संस्था को स्थायी निधि एवं सम्पत्ति की ठीक व्यवस्था करना
• आगामी वर्ष के लिए लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना
• अन्य ऐसे विषयों पर विचार करना जो प्रबंधकारिणी द्वारा प्रस्तुत हो
• संस्था द्वारा संचालित संस्थाओं के आय-व्यय पत्रकों को स्वीकृत करना
प्रबंधनकारिणी के अधिकार एवं कर्त्तव्य
• जिन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु समिति का गठन हुआ है उसकी पूर्ति करना और
इस आशय की पूर्ति हेतु व्यवस्था करना।
• पिछले वर्ष का आय-व्यय का लेखा पूर्णत: परीक्षित किया हुआ प्रगति प्रतिवेदन
के साथ प्रतिवर्ष साधारण सभा की बैठक में प्रस्तुत करना।
• समिति एवं उसके अधीन संचालित संस्थाओं के कर्मचारियों के वेतन तथा भत्ते आदि
का भुगतान करना। संस्था की चल-अचल सम्पत्ति पर लगने वाले करों आदि का भुगतान
करना।
• कर्मचारियों, शिक्षकों आदि की नियुक्ति करना
• आवश्यक कार्य करना जो संस्था के हित में हो एवं विधि अनुकूल हो
• संस्था की समस्त चल-अचल संपत्ति, यदि ट्रस्ट की स्थापना कर उसे न दी हो तो
कार्यकारिणी समिति के नाम से रहेगी
• संस्था द्वारा कोई भी स्थावर सम्पत्ति, रजिस्ट्रार की लिखित अनुज्ञा के बिना
विक्रय द्वारा, या अन्यथा अर्जित या अन्तरित नहीं की जायेगी।
विशेष बैठक आमंत्रित कर संस्था के विधान में संशोधन किये जाने के प्रस्ताव पर
विचार कर साधारण सभा के विशेष अधिवेशन में उसकी स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करेगी।
साधारण सभा में कुल सदस्यों का 2/3 मत में संशोधन पारित होने पर उक्त प्रस्ताव
पारित प्रस्ताव को पंजीयक फार्म एवं संस्थाए, भोपाल को लिखित में प्रस्तुत करना
होगा।
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विवाद |
समिति में किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न
होने पर अध्यक्ष को साधारण सभा के बहुमत प्रणाली से सुलझाने का अधिकार होगा। यदि
इस निर्णय से पक्षें को संतोष्ज्ञ न हो तो वह रजिस्ट्रार की ओर विवाद को निर्णय
के लिए भेज सकेंगे। रजिस्ट्रार का निर्णय अंतिम व सर्वमान्य होगा। संस्था द्वारा
संचालित समितियों के विवाद अथवा प्रबंधकारिणियों में विवाद उत्पन्न होने अंतिम
निर्णय का अधिकार रजिस्ट्रार को होगा।
संस्था में यदि अनियमितता हुई है एवं
सदस्यों द्वारा कार्य में बाधा निर्माण किये जाने संबंधी समाधान हो जाने पर
रजिस्ट्रार को यह अधिकार होगा कि वह कार्यकारिणी को भंग कर दे, तथा शासकीय
जिम्मेदार कर्मचारी की नियुक्ति प्रशासक के रूप में करने का अधिकार होगा। वह
संस्था को विधिवत संचालन में सहायता करेगा। उचित स्थिति का निर्माण हो जाने पर
साधारण सभा की बैठक आमंत्रित कर उसके पदाधिकारियों का विधिवत निर्वाचन कराने के
लिए उत्तरदायी होगा। इस व्यवस्था में प्रशासक के वेतन आदि पर होने वाले व्यय को
संस्था हो वहन करना होगा। यह अवधि 2 वर्ष से अधिक नहीं होगी।
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संशोधन |
यदि आवश्यक हुआ तो संस्था के हित
में उसके पंजीकृत विधान में संशोधन करने का अधिकार पंजीयक एवं संस्थाएं को होगा।
जो प्रत्येक सदस्य को मान्य होगा। संशोधन संस्था की साधारण सभा की बैठक में कुल
सदस्यों के 2/3 मतों से पारित होगा। |
सम्पत्ति |
संस्था की समस्त चल अचल संपत्ति
उसके नाम से रहेगी। संस्था की समस्त चल
अचल संपत्ति (स्थावर सम्पत्ति) रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं की लिखत अनुज्ञा के
बिना विक्रय द्वारा या अन्य प्रकार से अर्जित या अन्तरित नहीं की जाएगी। |